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Forest Fire Episode-3 (Deep Chandra Arya (Chief Conservator Forest))

उत्तराखंड में 85 फीसद पर्वतीय क्षेत्र है. 1300 से 2000 मीटर तक की ऊंचाई का क्षेत्र चीड़ का है जो कि आग के लिए बेहद संवेदनशील है उत्तराखंड में 16 फीसद एरिया चीड़ के जंगलों का है.पशुपालक समाज अपने पशुओं के चारे की जरूरतों को पूरा करने के लिए इन जंगलों में आग लगाते हैं और तापमान में वृद्धि होने के चलते आग आउट ऑफ कंट्रोल हो जाती है। फायर लाइन कंट्रोल का भी कोई बहुत फायदा नहीं है क्योंकि पिरुल की चेन को ब्रेक करने पर फिर से उस लाइन में पिरुल व पत्तियां गिरते रहती हैं क्योंकि पत्तियां गिरने का ही ये मौसम है। हमने जगह जगह पर क्रू स्टेशन बनाए हैं फायर वॉचर रखे हैं जो हमें तुरंत आग की सूचना दे रहे हैं पर आग की जगह पहुंचने तक आग विकराल रूप ले लेती है। अग्निशमन की गाड़ी पहाड़ चढ़ नहीं सकती कुछ सीमित उपकरण रह जाते हैं जिनसे हम आग बुझाते हैं। पिरुल प्लांट जिन क्षेत्रों में लगे हैं वहां आग नहीं लगी है यही एक उपाय है कि अधिक से अधिक पिरुल प्लांट लगाएं और उसे इक्ठ्ठा कर किसी और उपयोग में ला सकें। ये कहना है वन संरक्षक दीप चन्द्र आर्या जी का। आईये अपने जंगल बचाएं श्रृंखला का ये तीसरा एपिसोड है। बहुत विस्तार के साथ सुनते हैं कि वन विभाग की क्या तैयारियां है फायर सीजन को लेकर रेडियो जर्नलिस्ट सुनीता भास्कर के साथ में वन संरक्षक दीप चन्द्र आर्या जी की जुबानी आपके अपने रेडियो हैलो हल्द्वानी में.

Audio file
External Expert
Participants
Sunita Bhaskar (RJ)
Language
Hindi
Format
Talk

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