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उर्दू मसनवी का सफ़र शुमाली हिन्द में

मसनवी काव्य का ऐसा रूप है जिसमें कोई कहानी या उपदेश एक ही वृत्त में होता है, हर शेर के दोनों मिस्रे एक ही रदीफ़ और क़ाफ़िए में होते हैं। हर शेर का रदीफ़ और काफ़िया आपस में अलग-अलग होता है। मसनवी उर्दू की सबसे पुरानी सिन्फ़ है, आपने पिछले एपिसोड में जाना उर्दू में मसनवी की मौजूदा हैत की इब्तिदा दक्कन में हुई। शुमाली हिन्द यानि उत्तर भारत में बारहवीं सदी हिजरी यानि अठारवी सदी ईस्वी से मसनवी कहने का आगाज़ हो गया था। इस बारे में विस्तार से जानकारी लेकर आ रहे हैं उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग से शहपर शरीफ़। .

Audio file
UOU Faculty
Language
Hindi
Format
Lecture

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