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उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी के दिव्यांग प्रकोष्ठ , विशेष शिक्षा विभाग एवं समान अवसर अनुभाग द्वारा "हौसलों की उड़ान" विषय पर एक दिवसीय कार्यक्रम विश्वविद्यालय सभागार में आयोजित किया गया।

उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी के दिव्यांग प्रकोष्ठ , विशेष शिक्षा विभाग एवं समान अवसर अनुभाग द्वारा "हौसलों की उड़ान" विषय पर एक दिवसीय कार्यक्रम विश्वविद्यालय सभागार में आयोजित किया गया।

उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी के दिव्यांग प्रकोष्ठ , विशेष शिक्षा विभाग  एवं समान अवसर अनुभाग द्वारा "हौसलों  की उड़ान" विषय पर एक दिवसीय  कार्यक्रम विश्वविद्यालय सभागार में आयोजित किया गया।

कार्यक्रम के आरंभ में अपने स्वागत भाषण में प्रोफेसर डिगर सिंह फर्स्वाण , निदेशक शिक्षा शास्त्र द्वारा इस बात पर जोर दिया गया कि समावेशी वातावरण निर्माण शिक्षा क्षेत्र  में अत्यंत आवश्यक है और इस पर ध्यान देने की जरूरत है.  उन्होंने बताया कि नयी शिक्षा नीति 2020 में दिब्यांग बच्चों को सामान्य तौर पर सामान्य बच्चों के साथ आगे बढ़ाने के लिए कई तरह के प्रावधान दिए गए।
वही समान अवसर अनुभाग के प्रभारी प्रो  पी डी  पंत ने विषय प्रबोधन के अंतर्गत  बताया कि आज जरूरत इस बात की है कि समाज में जागरूकता पूरी तरीके से फैले और प्रत्येक दिव्यांग में मात्र  एक शारीरिक कमी की वजह से उसके अत्यंत विशिष्ट गुणों  को हम किसी भी तरीके से अनदेखा नहीं कर सकते व इन विशिष्ट गुणों में निखार लाने की जरूरत है। इस समय इसी वक्त में उन्होंने इस बात पर भी जोर  दिया कि आज एडवांस टेक्नोलॉजी के चलते वैज्ञानिकों  ने  दिव्यांग लोगों के लिए कई उपयोगी उपकरणों  का आविष्कार किया गया है। जरूरत है तो वैज्ञानिक वैज्ञानिकों द्वारा बनाई गई चीजों को इन तक पहुंचाने का और उनको उसके साथ दक्ष बनाने की। अगर उन्हें सशक्त बनाना है तो कुछ बुनियादी ढांचागत सुविधा प्रदान करना बहुत जरूरी होगा

तत्पश्चात तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित सुश्री नीरजा  गोयल जी ने अपने  जीवन की कई विषम परिस्थितियों के बारे में बताते हुए यह बताएं कि कैसे बचपन में पोलियो का गलत इंजेक्शन लगने लग जाने की वजह से उनको एक दिव्यांग श्रेणी में शामिल होना पड़ा उनके पिता की मृत्यु के बाद और किस तरीके से बिजनेस स्टार्टअप में अपने परिवार का की जिम्मेदारी उठाई और एक एक्सीडेंट में अपनी रीड की हड्डी में लगी चोट की वजह से वह किसी भी काम को करने में अक्षम  हो गई. लेकिन उन्होंने किस तरह राष्ट्रीय खेलों में कई मेडल जीत के बैडमिंटन, स्विमिंग, गिटार प्लेयिंग तथा बैडमिंटन में स्टेट चैंपियनशिप जीते हुए आज कई राष्ट्रीय स्पर्धा में अपने नेशनल मेडल पक्के किये। 
और न सिर्फ अपने बिजनेस को पूरी तरह संवारा  बल्कि उन्होंने समाज  को भी  जीने की राह दिखाई और उन्होंने फिर अपनी इस कहानी को न दोहराने हेतु लोगों को मोटिवेट करना स्टार्ट किया और और तमाम पुरस्कारों से सम्मानित किए जाने के अलावा एक ऐसी महिला बनने का गौरव प्राप्त हुआ है जिनकी वजह से योग नगरी ऋषिकेश  के नवीन रेलवे स्टेशन में दो किलोमीटर का रैंप दिव्यांग लोगों के लिए बनाया गया। और उन्होंने यह भी बताया  कि उन्होंने एक  चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की है और आज ऐसे दिव्यांग लोगों को अपनी ओर से एडवांस वर्जन वाली 500 से ज्यादा व्हीलचेयर बंट चुकी है और यह सब करते हुए उन्होंने कभी भी अपने आप को दिव्यांग महसूस होने नहीं दिया।

वहीं दूसरी आमंत्रित दिव्यांग वक्ता सुश्री प्रीति गोस्वामीआज सफलताओं की कई कहानियां लिख चुकी है। और वह एक कई रेडियो कार्यक्रम और टीवी कार्यक्रमों में एंकर की भूमिका निभा चुकी है और  वर्तमान में  हाईकोर्ट में एक वकील के तौर पर कार्यरत है। और  मोटर रैली  में कई मेडल जीतने के अलावा उन्होंने लॉन बॉल में भी नेशनल  और इंटरनेशनल टीम का प्रतिनिधित्व क्या है और उन्होंने कहा कि यह मां-बाप की जिम्मेदारी बनती है कि वे  अपने दिव्यांग बच्चों को यह कभी एहसास न कराएं कि उनके अंदर कुछ कमी है उसके अलावा उन्होंने साफ तौर पर संदेश दिया कि प्रत्येक व्यक्ति को चाहे वह दिव्यांग हो या फिर कोई सामान्य व्यक्ति उसे प्रकृति, अपने चारों के वातावरण ,पर्यावरण और जानवरों के बारे में विशेष सहानुभूति रखनी चाहिए ,तथा उन्हें इस बात पर चिंता जाहिर की की भारतवर्ष में सिविक सेंस दिन पर दिन लोग खोते  जा रहे हैं और उन्होंने बताया कि हमारे सभी के लिए अपनी मातृ भूमि यानी मदर अर्थ को सहेज कर रखना  बहुत जरूरी है. 
तत्पश्चात कार्यक्रम के अध्यक्ष व उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी  जी ने यह बताया कि वह  विश्वविद्यालय स्तर पर जितनी भी मदद दिव्यांगों के लिए होगी सहर्ष करने को तत्पर है। विश्वविद्यालय में दिव्यांग छात्रों से आदर्श अध्ययन केंद्र हल्द्वानी में पाठ्यक्रम प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता है।  दिव्यांग कर्मचारियों  हेतु जरूरत पड़ेगी बिल्डिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर  में मोडिफिकेशन करने की तो उस कार्य को भी पूर्ण किया जायेगा।और इसके अलावा उन्होंने यह आग्रह किया की आने वाले समय में विश्वविद्यालय आमंत्रित वक्ताओं के सुझाव भी आमंत्रित करेगा जिससे और प्रभावी तरीके से दिव्यांगों हेतु नये रास्ते तैयार  किये जा सकें। तत्पश्चात  दिव्यांगजनों सुश्री नीरजा गोयल, सुश्री प्रीति गोस्वामी, सुश्री मोहिनी कोरंगा, सुश्री चंद्रकला जोशी, श्रीमती निर्मला देवी, श्रीमती सरिता ज्याडा, श्री दिनेश प्रसाद ज्याडा, श्री पुरुषोत्तम मोगा का सम्मान किया गया।  धन्यवाद ज्ञापन  डॉ राजेंद्र कैड़ा  द्वारा  किया गया। कार्यक्रम  का संचालन कर रहे  दिव्यांग प्रकोष्ठ के प्रभारी सिद्धार्थ पोखरियाल ने विश्वविद्यालय में दिव्यांग छात्रों के लिए चलाई जा रही सुविधाओं का उल्लेख करते हुए इस वर्ष में नामांकित दिव्यांग विद्यार्थियों का विवरण प्रस्तुत किया गया। इसके अलावा कार्यक्रम में दिव्यांग प्रकोष्ठ के सदस्य डा बालम दफोटी, डॉ नागेंद्र गंगोला  ,प्रोफेसर रेनू प्रकाश, प्रोफेसर राकेश रयाल , तरूण नेगी,भावना धोनी, डॉ नागेंद्र गंगोला, सुश्री अंकिता सिंह, सुश्री निशा राणा, श्रीमती पूजा शर्मा, श्रीमती रश्मि सक्सैना डॉ बबीता खाती समेत विश्वविद्यालय के विशेष शिक्षा विभाग के छात्र-छात्राएं व शिक्षक और कर्मचारी उपस्थित थे।

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