‘राही मासूम रज़ा की विरासत’ पर कश्मीर विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी
‘राही मासूम रज़ा की विरासत’ पर कश्मीर विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी
/ November 01, 2025
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on November 1, 2025
कश्मीर विश्वविद्यालय में प्रसिद्ध साहित्यकार, कवि और विचारक राही मासूम रज़ा की विरासत पर केंद्रित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इस संगोष्ठी में देश-विदेश के अनेक प्रतिष्ठित शिक्षाविदों, साहित्यकारों, विद्वानों और शोधार्थियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जम्मू-कश्मीर के माननीय उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा जी रहे, जिन्होंने अपने उद्बोधन में राही मासूम रज़ा को भारतीय अस्मिता, बहुलता और मानवता का सशक्त प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि राही साहब की रचनाएँ भारतीय समाज की आत्मा को समझने की कुंजी हैं।
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नवीन चंद्र लोहनी जी ने विशिष्ट अतिथि के रूप में उद्घाटन सत्र में प्रतिभाग किया। अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि राही मासूम रज़ा की लेखनी भारतीय समाज के यथार्थ, सांस्कृतिक विविधता और सामाजिक सौहार्द की जीवंत अभिव्यक्ति है। उनकी रचनाएँ भाषा, धर्म और क्षेत्र की सीमाओं को लांघकर मानवता का सार्वभौमिक संदेश देती हैं।
प्रो. लोहनी ने आगे कहा कि साहित्य और समाज के बीच संवाद की यह परंपरा भारतीयता की आत्मा है, जिसे राही साहब जैसे लेखकों ने शब्दों में साकार किया।
इस अवसर पर कश्मीर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर नीलोफर खान, प्रसिद्ध गीतकार समीर अनजान, संस्था के प्रमुख श्री आसिफ आज़मी, डीन प्रो. परवेज़ अहमद सहित अनेक विद्वान, अधिकारी, शिक्षाविद, साहित्यकार, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।
संगोष्ठी में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय की सक्रिय भागीदारी ने यह संदेश दिया कि राज्य की शैक्षणिक संस्थाएँ भी साहित्य, संस्कृति और शिक्षा के राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विमर्शों में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रही हैं।