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हिंदी दिवस समारोह 2025 : विश्वविद्यालय ने शुरू की हिंदी वेबसाइट – शिक्षार्थी केंद्रित डिजिटल पहल

हिंदी दिवस समारोह 2025 : विश्वविद्यालय ने शुरू की हिंदी वेबसाइट – शिक्षार्थी केंद्रित डिजिटल पहल

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उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय के हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाएं विभाग द्वारा हिंदी दिवस समारोह 2025 का आयोजन विश्वविद्यालय में किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति जी ने हिंदी में हस्ताक्षर कर हिंदी दिवस कार्यक्रम का शुभारंभ किया। तत्पश्चात् वैचारिक और लोकार्पण सत्र का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में मुख्य उद्बोधन देते हुए विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. नवीन चन्द्र लोहनी ने कहा कि विश्वविद्यालय की हिंदी वेबसाइट स्थानीय संवेदना के लिए अति महत्वपूर्ण है। यह कदम हमारे विश्वविद्यालय के शिक्षार्थियों के लिए कारगर सिद्ध होगी। हिंदी केवल एक भाषा नहीं बल्कि हिंदी जनसमुदाय है। हमने हिंदी का चुनाव इस लिए किया कि इस माध्यम के तहत हम अधिक सहजता से अपनी जनता से जुड़ सकेंगे। माध्यम भाषा के तौर पर हिंदी भारत की बड़ी भाषा है। आज हमने हिंदी को अपने कामकाज की भाषा बनाया है। माननीय कुलपति जी ने कहा कि उत्तराखंड एक हिंदी भाषी राज्य है| यहाँ के अधिकांश शिक्षार्थी हिंदी भाषी हैं| इसलिए उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय ने हिंदी में वेबसाइट बनाने का निर्णय किया| विश्वविद्यालय में अंग्रेजी भाषा की वेबसाइट पहले से ही वर्तमान है| अंग्रेजी भाषा की वेबसाइट समानांतर रूप से चलती रहेगी| वेबसाइट निर्माण के प्राथमिक चरण में हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में आज हम इसका एक भाग लोकर्पित कर रहे हैं| जल्द ही हम पूरी हिंदी वेबसाइट को निर्मित कर लेंगे| वेबसाइट निर्माण की इस प्रक्रिया में विश्वविद्यालय का हिंदी विभाग और आईसीटी अनुभाग मिलकर कार्य कर रहे हैं| विश्वविद्यालय की हिंदी वेबसाइट हिंदी भाषा के शिक्षार्थियों की सुविधा हेतु निर्मित की गयी है तथा विश्वविद्यालय का यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप है| इस अवसर पर विश्वविद्यालय की हिंदी वेबसाइट का लोकार्पण किया गया। माननीय कुलपति जी के विश्वविद्यालय को लेकर शामिल आकांक्षाओं में यह शामिल है कि विश्वविद्यालय को शिक्षार्थियों के सुविधा के अनुरूप हम उन तक पहुंचे। इस आकांक्षा का प्रतिफलन विश्वविद्यालय के वेबसाइट का हिंदीकरण है। यह हिंदी में ज्ञान का विऔपनिवेशीकरण की ओर एक गंभीर प्रयास है।
मानविकी विद्याशाखा के निदेशक प्रो गिरिजा प्रसाद पाण्डे ने कहा कि भाषा को संकीर्ण नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए इसे मानव विकास के साथ साथ देखा जाना चाहिए। भाषा में बगैर प्रतीकात्मकता के बल नहीं आ पाता। यह प्रतीकात्मकता ही है जो भाषा की दार्शनिक अभिव्यक्ति है। हिंदी ने यथार्थ और प्रतीक को संरक्षित किया है। कार्यक्रम का विषयप्रवेश हिंदी विभाग के समन्वयक डॉ शशांक शुक्ल ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हिंदी आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य हो चुकी है। तब हमारी जिम्मेदारी बढ़ जाती है। हिंदी केवल भाषा नहीं बल्कि देश का बोधक है। हिंदी को जबान ए हिंद कहा गया।
कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत डॉ कुमार मंगलम ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ राजेंद्र कैड़ा ने किया|
कार्यक्रम का संचालन डॉ अनिल कार्की ने किया।
कार्यक्रम का संयोजन हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ शशांक शुक्ल ने किया|
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री खेमराज भट्ट, विभिन्न विद्याशाखाओं के निदेशक, समस्त शिक्षक समेत विश्वविद्यालय के कर्मचारी एवं शिक्षार्थी मौजूद रहे। कार्यक्रम में निदेशक अकादमिक प्रो पी डी पंत, प्रो मदन मोहन जोशी, प्रो राकेश रयाल, प्रो जीतेन्द्र पांडेय, प्रो अरविन्द भट्ट, प्रो गगन सिंह, डॉ अखिलेश सिंह, डॉ नंदन कुमार तिवारी, डॉ दीपांकुर जोशी, डॉ घनश्याम जोशी आदि उपस्थित रहे|

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