लक्सर में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए एकदिवसीय कार्यशाला आयोजित, दिव्यांग, शोषित व वंचित वर्ग में जागरूकता पर दिया गया जोर।
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी के "एक विश्वविद्यालय ,एक शोध" कार्यक्रम के तहत आज लक्सर विकासखंड सभागार में उत्तराखंड के दिव्यांग, शोषित एवं वंचित वर्ग के लोगों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं हेतु एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला लक्सर विकासखंड के चयनित 30 आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में विशेषज्ञ वक्ताओं ने बाल विकास, विशेष शिक्षा, दिव्यांग अधिकारों तथा सरकारी योजनाओं की जानकारी विस्तार से साझा की। कार्यशाला के बोलते हुए सहायक क्षेत्रीय निदेशक डॉ. बृजेश बनकोटी ने अपने संबोधन में कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता समाज की नींव हैं और उनकी भूमिका केवल पोषण तक सीमित नहीं है, बल्कि वे विकलांग, शोषित एवं वंचित बच्चों की पहचान कर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। उन्होंने कहा कि समय रहते दिव्यांगता की पहचान होने से बच्चों को बेहतर उपचार, शिक्षा और सरकारी सुविधाओं का लाभ मिल सकता है।उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों से अपनी शैक्षणिक योग्यता उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के माध्यम से बढ़ाने का आह्वान किया।उन्होंने कहा कि 1 जनवरी 2026 से शीतकालीन सत्र में प्रवेश प्रारंभ हो रहे है। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय (यूओयू) में विशेष शिक्षा के विभागाध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ. सिद्धार्थ पोखरियाल ने विशेष शिक्षा की आवश्यकता और महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रत्येक बच्चा सीखने की क्षमता रखता है, आवश्यकता केवल उसके अनुरूप शिक्षण पद्धति अपनाने की है। उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे दिव्यांग बच्चों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाएं और अभिभावकों को भी जागरूक करें। सहायक प्राध्यापक तरुण नेगी ने अपने वक्तव्य में कहा कि समाज में आज भी दिव्यांगजनों के प्रति कई भ्रांतियां व्याप्त हैं, जिन्हें दूर करने में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका अहम है। उन्होंने कहा कि जागरूकता अभियानों और सही जानकारी के माध्यम से दिव्यांग व्यक्तियों को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं सीपीडीओ सुधा त्रिपाठी ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर कार्य करती हैं, इसलिए वे सरकारी योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने की सबसे मजबूत कड़ी हैं। उन्होंने कार्यशाला के उद्देश्य को सार्थक बताते हुए कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों से कार्यकर्ताओं की कार्यक्षमता और संवेदनशीलता दोनों में वृद्धि होती है। कार्यशाला के दौरान प्रतिभागी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को दिव्यागता की पहचान, प्रारंभिक हस्तक्षेप, सरकारी योजनाओं की जानकारी तथा समाज में जागरूकता फैलाने के तरीकों पर विस्तृत जानकारी दी गई। प्रश्नोत्तरी सत्र का आयोजन भी किया गया, जिसमें कार्यकत्रियों ने अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया तथा मार्गदर्शन भी प्राप्त किया। कार्यशाला के समापन पर सभी वक्ताओं ने आशा व्यक्त की कि प्रशिक्षित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर विकलांग, शोषित एवं वंचित वर्ग के लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सफल होंगी।
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