Special Lecture: Measures for Quality Enhancement in Educational Institutions on 22 Aug 2025
Special Lecture: Measures for Quality Enhancement in Educational Institutions on 22 Aug 2025
/ August 23, 2025
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webadmin
on August 23, 2025
दुरस्थ एवं मुक्त विश्वविद्यालयों की वेबसाइट हमेशा अपडेटेड होनी चाहिए. क्योंकि स्टूडेंट के पास वही एक जरिया है विश्वविद्यालय की सूचनाएं प्राप्त करने का। वह विवि से वेबसाइट से ही कनेक्टेड है या फिर वह विवि सिर्फ परीक्षा देने आता है तो इस गैप को हमे भरना है होगा तभी हम दूरस्थ शिक्षा के शिक्षार्थियों को विवि के केन्द्र में रख पाएंगे। ये कहना है चौधरी चरण सिंह मेरठ विश्वविद्यालय की दूसरी बार कुलपति बनी प्रो. संगीता शुक्ला का। प्रो. संगीता शुक्ला जंतु विज्ञान की प्रोफेसर हैं और अपने शैक्षणिक कार्यकाल में चौथी बार कुलपति का दायित्व संभाल रही हैं। इससे पूर्व वह दो बार जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर की कुलपति रह चुकी हैं।
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के सीका प्रकोष्ठ के द्वारा आयोजित व्याख्यानमाला में उन्होंने ये बात कही। शैक्षणिक संस्थानों की गुणवत्ता बढ़ाने के उपायों पर आयोजित इस व्याख्यान में विश्वविद्यालयों को समग्रता में आगे बढ़ाने पर विचार हुआ। उन्होंने व्याख्यान में आगे कहा कि विवि को नए पाठ्यक्रम भी लांच करने चाहिए। पाठ्यसामग्री समय समय पर अपग्रेड होते रहना चाहिए. पाठ्यसामग्री बिल्कुल फोकस व नयी होनी चाहिए। विज्ञान विषयों के शिक्षार्थियों के लिए प्रैक्टिकल समय समय पर होने चाहिए. हैंड्स ऑन ट्रेनिंग होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जो विश्वविद्यालय हमेशा अपने शिक्षार्थी को केन्द्र में रखकर योजनाएं बनाते हैं वह हमेशा आगे रहते हैं। उन्होंने नैक की ग्रेडिंग बढ़ाने के लिए भी सुझाव दिये और कहा कि पुराने काम को सबसे पहले डाक्यूमेंट करें तब मालूम चलेगा कि नया क्या क्या करना है और साथ ही नैक का एसओपी सभी को पढ़ने की सलाह दी ताकि नैक की तमाम प्रक्रियाओं को हम पहले समझ लें। उन्होंने अंत में कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा केवल अंक प्राप्त करने से नहीं होगी बल्कि शिक्षार्थी के व्यक्तित्व निर्माण, नैतिक मूल्य व जीवन कौशलों के विकास से होगी। व्याख्यान की दूसरी वक्ता मां शाकुम्भरी विश्वविद्यालय सहारनपुर की कुलपति प्रो. विमला वाई ने कहा कि दूरस्थ माध्यम के विश्वविद्यालय का पाठ्यक्रम हमेशा सरल, सुग्राह्य व चित्रात्मक होना चाहिए जिससे शिक्षार्थी उसे आसानी से आत्मसात कर सके। उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति को लागू करना परंपरागत विश्वविद्यालयों के लिए ही बहुत चुनौतीपूर्ण है तो दूरस्थ को उसे लागू करने में ज्यादा मेहनत करनी होगी। उन्होंने कहा कि दूरस्थ शिक्षा में शिक्षा की गुणवत्ता को मापने का एक पैमाना है कि विवि से निकले शिक्षार्थी कहां कहां क्या क्या कर रहे हैं इसीलिए उन्होंने विश्वविद्यालय की एलुमुनाई एसोसिएशन बनाने पर जोर दिया. कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के लोकपाल प्रो. नरेन्द्र भंडारी ने कहा कि विज्ञान के विषयों में गुणवत्ता रखना ज्यादा बड़ी चुनौती है उन्होंने समय के अनुसार डिजीटल जॉब चेन का हवाला देते हुए कहा कि समय के अनुरूप पाठ्यक्रमों में बदलाव लाना विवि का पहला मकसद होना चाहिए। व्याख्यान कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विवि के कुलपति प्रो. नवीन चन्द्र लोहनी ने कहा कि उत्तराखंड में भौगोलिक चुनौतियां बहुत हैं लेकिन यही चुनौतियां दूरस्थ एवं मुक्त विश्वविद्यालय का मजबूत पक्ष हैं परंपरागत विश्वविद्यालय ये काम नहीं कर सकते उनके वहां उपस्थिति की बाध्यता है, लेकिन हम अपने गुणवत्ता के पाठ्यक्रम के साथ पहाड़ के सुदूर एक एक शिक्षार्थी तक आसानी से पहुंच सकते हैं। हमने विश्विद्यालय को डिजिटल रूप में इतना सक्षम बना लिया है कि शिक्षार्थी घर बैठे ही सारी सूचनाओं से लेकर प्रवेश ले सकता है।
इस मौके पर सीका के निदेशक व प्रो. गिरिजा प्रसाद पांडे ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों की गुणवत्ता को बेहतर बनाना नयी शिक्षा नीति का उद्देश्य है जिसके लिए समय समय पर इस तरह के व्याख्यान आयोजित कर विशेषज्ञों से ठोस सुझाव लिये जाएंगे जिससे उन रणनीतियों पर काम हो सके। इस मौके पर विवि की प्रचार सामग्री का विमोचन भी अतिथियों द्वारा किया गया। सत्र का संचालन सीका के सदस्य व वाणिज्य एवं प्रबंधन विद्याशाखा के निदेशक प्रो. गगन सिंह ने किया।इस मौके पर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रेनू प्रकाश, प्रो. राकेश चन्द्र रयाल, प्रो. डिगर सिंह फर्स्वाण, त्रिलोक सिंह, समेत सीका के सभी सदस्य व विश्वविद्यालय का सभी अकदामिक स्टाफ मौजूद रहा।